देखे हक़ की र आड़ म हराम खान आले by Sanjay Raksera

देखे हक़ की र आड़ म हराम खान आले बैठे गरीबा न र लूट अल्लाह राम गान आले गंगाजल मिलअ कम ज्यादा दारुआ की पेटी करअ गंगा न खराब हरिद्वार जान आले कयाने देख क न माडा तू र बोलता ही नही अंधभगती की बेडी कयाने तोड़ता ही नही मार सांतला प हाथ र हलाता त लड़ नाम किस्मत का लेवे खुद दौड़ता ही नही ना गरीबी म गरीबा का ज़मीर मरता अमीर जावे ओर भी अमीर बनता बाता म तो सब देख पेल देवअ ज्ञान आड़अ धर्म और ईमान प ना कोई चलता उपरआले बिना सुना कुछ चलता ही नही लोग करअ नीच काम कौई डरता ही नही चाहे पढलो र गीता या पढलो कुरान थारा हराम की कमाई बिन भरता ही नही भाई भाई के हिसे की खाकअ जमीन कल मंदिरा म देता वो दान पावअगा मीठे पानी की लाकअ न एक दिन छबील सोचअ ज़िन्दगी का पाप सारा कट जावअगा आड़अ धर्म के लिए हर कोई लड़ा भाईचारे की खातर ना कोई खड़ा सुनने म आवअ सब देखअ स गॉड फिर भरा क्यू ना आज तक पाप का घड़ा लिखअ पागला की ढाल इनअ कोन गावअगा इनअ पढ़अ कोई स्याणा मुह उंगली दबावअगा लोग कर माडे काम ले कलयुग का नाम बस सुनने म आवअ रामराज आवगा पर नु तो बतादो र कोन लावअगा...

देखे हक़ की र आड़ म हराम खान आले by Sanjay Raksera

देखे हक़ की र आड़ म हराम खान आले बैठे गरीबा न र लूट अल्लाह राम गान आले गंगाजल मिलअ कम ज्यादा दारुआ की पेटी करअ गंगा न खराब हरिद्वार जान आले...