या ज़िन्दगी मने जीनी नी आयी।
आड़े झूठे लोगों न हरिशचंद्र बतावे हैं
मुँह न कर क बन्द आँख त बतलावे हैं ।
एक दिन ठा क तिरंगा देशभगति दिखावे हैं ।
बन के सोशल वर्कर गरीबो का खावे हैं।
मैं रहा इसी तलाब मैं , पर कदे डुबकी नी लायी
शौरी यार
या ज़िन्दगी मने जीनी नी आयी।
या ज़िन्दगी मने जीनी नी आयी।
By Sanjay Raksera